Wednesday 20 March 2019

मनोहर पर्रिकर : मेरे श्रद्धा सुमन

आज ब्लागर की दुनिया में पहला कदम।
(स्व.मनोहर पर्रिकर को समर्पित )
अभी अभी समाचार मिला कि लंबी बीमारी के बाद गोवा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर पर्रिकर जी का निधन हो गया।उनकी ईमानदारी और कर्मठता उन्हें दिल्ली रक्षा मंत्रालय तक ले गई।
जब रक्षा मंत्रालय में बदनामी के भय से रक्षा सौदे होना बंद पड़े थे उस समय  ईमानदारी के ब्रांड एम्बेसडर के रूप में उन्हें गोवा के मुख्यमंत्री की जगह उन्हें रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी संभालने के लिए दिल्ली बुला लिया गया।और जब गोवा में राजनीतिक अस्थिरता के संकेत मिलने लगे तो सबके सम्मान के पात्र,सबको जोड़ने की क्षमता के कारण उन्हें पुनः गोवा आना पड़ा।
राजनीति में इधर से उधर की उठापटक उनदिनों में आम बात थी जब केंद में कांग्रेस बहुत मजबूत थी ।मध्यप्रदेश के अर्जुन सिंह जी की यादें आज भी जेहन में बसी हुईं हैं।
मनोहर जी का गोवा से दिल्ली और दिल्ली से गोवा का सफर
कोई राजनीतिक उठा पटक का उदाहरण नही है बल्कि विशुद्ध योग्यता और क्षमता के आधार पर जरूरतों को पूरा करने का दुर्लभ उदाहरण है।
एक ऐसा राजनेता जिसके खिलाफ आरोप इसलिए नही लगाए गए क्योंकि उनके खिलाफ मसाला नही मिलता था के स्थान पर यह कहना अतिश्योक्ति नही होगा कि उनके खिलाफ आरोप लगाने की इच्छा ही नही होती थी।    
श्री राहुल गांधी कांग्रेस जैसी महत्वपूर्ण पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं,अतः इस नाते उनका सम्मान करता हूँ परन्तु मुझे यह बताने में कोई संकोच नही की उनकी बातों ने/ भाषणों ने मुझे कभी भी प्रभावित नही किया ।किंतु मनोहर पर्रिकर को श्रद्धांजलि देते हुवे उन्होंने " गोवा के सबसे लाडला बेटा " कहा .मुझे लगता है यह बहुत सच्ची ओर सरल श्रधांजलि अभिव्यक्त की (ओर  यह कह कर राहुल गांधी ने शायद  उनके संदर्भ में हाल ही में अपने द्वारा की गई गलती का प्रायश्चित भी कर लिया है।)
मनोहर पर्रिकर जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी रहे।फिर भी राजनीतिक इतिहास में उन्हें सादगी और कर्मठता के लिए ना केवल याद किया जाता रहेगा राजनीतिक दलों की सीमा के बाहर अनेकों राजनीतिक कार्यकर्ताओं के लिए वे प्रेरणा स्रोत रहेंगे।
विनम्र श्रद्धांजलि।
  

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