एक ओर शहादत !
ना यह पहली थी ना आख़िरी होगी।सवाल यही है कि वो कौन सी शहादत होगी जो आख़िरी होगी।बस्तर में चुनाव प्रचार करना घोषित ख़तरा है।फिर भी भीमा मंडावी जैसे सेंकडो राजनीतिक कार्यकर्ता यह करते हैं।भीषण ख़तरों के बीच ऐसे लोकतांत्रिक कर्म करते रहने की प्रेरणा ओर साहस ही उम्मीद जगाता है एक दिन माओवादी आतंक को परास्त होना ही पड़ेगा।
पर यह तो भविष्य की बात है।भीमा मंडावी की घृणित हत्या पर आज मैं किस से प्रश्न पूछूँ ?नक्सलियों तक तो पहुँचने का रास्ता मुझे नहीं मालूम।उनके फ़ोन ,फ़ेसबूक कुछ भी नहीं मालूम।पर कुछ तो लोग होंगे जो धूर जंगल में रहने वाले नक्सलियों को रसद पानी ,हथियार से लेकर रणनीति बनाने में मदद करते होंगे ?ओर ये लोग तो शहरों में ,महानगरों में ,राजधानियों में रहते होंगे।विश्विद्यालयों,कोर्ट-कचहरी,मीडिया में काम करते होंगे।मैं इन्हीं से प्रश्न पूछना चाहता हूँ।
बहुत सरल प्रश्न हैं मेरे । भारत में बिना लाइसेंस का हथियार रखना क़ानून अपराध है।क्या आप लोग उस किताब को मानते हैं,जिसमें यह क़ानून लिखा है ? यदि हाँ तो आप उनकी वकालत कैसे कर सकते हैं जो आधुनिक स्वचालित हथियारों का ज़ख़ीरा लेकर शांत ओर सुंदर जंगलों में राक्षसी राज्य स्थापित कर रहे हैं।ओर यदि आप उनका समर्थन करते हैं तो फिर आपको शहरी नक्सली शब्द से सम्बोधित करना क्यों ग़लत है ? फिर भीमा से लेकर झीरम के शहीदों तक की वीभत्स हत्या के सह अपराधी आपको भी क्यों ना माना जाये ? एक मनुष्य शरीर की हत्या का ही सवाल हो तो आप सह अपराधी हैं ।किंतु पुलिस की गोली से मरे या नक्सलियों की गोली से मरें,मरना तो वनवासियों को ही है, ऐसी जटिल परिस्थिति पैदा करने के मुख्य आरोपी तो आप ही हो ना ?
आप ही हो ना जो अभिव्यक्ति की आज़ादी,महिलाओं का सम्मान,बच्चों के बचपन ओर मानव मात्र के अधिकार की लड़ाई लड़ते हो।आप ही हो ना जो संविधान की रक्षा के सजग प्रहरी बनते हो। इन संदर्भित मुद्दों पर भीमा की मासूम पत्नी, अबोध बच्चों,बुज़ुर्ग माँ बाप,के अधिकार हनन के दोषी आप नहीं हो क्या ? उन वनवासियों जो चुनाव के माध्यम से अपनी सरकार चुनना चाहते हैं,अपने दलों के उम्मीदवार के प्रचार के लिए जनता के बीच जाना चाहते हैं उनके संवेधानिक अधिकारों के लिए आप जब षड्यंत्रकारी चुपी ओड लेते हो तो सच में आप देश के सबसे बड़े शत्रु नज़र आते हो।
क़सम भीमा ओर झीरम जैसे अनेको शहीदों की एक दिन हम भारत के लोग आपके बेनक़ाब कर ही देंगे ओर आपकी कुत्सित,राक्षसी प्रवृति जो अलगाव वाद ,आतंकवाद को अपना अस्त्र साधन मानती है, के जड़-मूल से उन्मूलन के साथ अपने भीमा के बस्तर को ,भीमा के भारत को,भीमा के लोकतंत्र को पुनः एक नई आभा के साथ
प्रस्थापित करेंगे।
युद्ध क्षेत्र अब केवल बस्तर नहीं होगा, पूरा भारत होगा। विश्वविद्यालयों के परिसर,कोर्ट रूम,मानवाधिकार ओर महिला आयोगों के कार्यालय, टीवी चेनलों के बहस स्थलों से लेकर पत्रकारों की कलमों तक,हर उस जगह जो आपके षडयन्त्र स्थल हैं वहाँ हम भारत के लोग जो मानव मात्र से प्यार करते हैं,जो विविधता में एकात्मता का दर्शन करते हैं ,जो अपनी आंतरिक विषमताओं,कमज़ोरियों को लोकतंत्र के उपकरणों से हल करना जानते हैं,आपको बेनक़ाब करेंगे,आपको परास्त करेंगे।
भीमा की शहादत पर हम भारत के लोगों का यही जन संकल्प है।
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